Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।1.14।। व्याख्या--'ततः श्वेतैर्हयैर्युक्ते'-- चित्ररथ गन्धर्वने अर्जुनको सौ दिव्य घोड़े दिये थे। इन घोड़ोंमें यह विशेषता थी कि इनमेंसे युद्धमें कितने …
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Bhagavad Gita 1.12
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।1.12।। व्याख्या--'तस्य संजनयन् हर्षम्'-- यद्यपि दुर्योधनके हृदयमें हर्ष होना शंखध्वनिका कार्य है और शंखध्वनि कारण है, इसलिये यहाँ शंखध्वनिका वर्णन …
Bhagavad Gita 1.11
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas 1.11।। व्याख्या--'अयनेषु च सर्वेषु ৷৷. भवन्तः सर्व एव हि'--जिन-जिन मोर्चोंपर आपकी नियुक्ति कर दी गयी है, आप सभी योद्धालोग उन्हीं मोर्चोंपर दृढ़तासे …
Bhagavad Gita 1.10
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।1.10।। व्याख्या-- 'अपर्याप्तं तदस्माकं बलं भीष्माभिरक्षितम्'-- अधर्म--अन्यायके कारण दुर्योधनके मनमें भय होनेसे वह अपनी सेनाके विषयमें सोचता है …
Bhagavad Gita 1.9
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas 1.9।। व्याख्या-- 'अन्ये च बहवः शूरा मदर्थे त्यक्त-जीविताः'-- मैंने अभीतक अपनी सेनाके जितने शूरवीरोंके नाम लिये हैं, उनके अतिरिक्त भी हमारी …
Bhagavad Gita 1.8
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।1.8।। व्याख्या-- 'भवान् भीष्मश्च'-- आप और पितामह भीष्म--दोनों ही बहुत विशेष पुरुष हैं। आप दोनोंके समकक्ष संसारमें तीसरा कोई भी नहीं है। अगर आप …