Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।17.17।। व्याख्या -- श्रद्धया परया तप्तम् -- शरीर? वाणी और मनके द्वारा जो तप किया जाता है? वह तप ही मनुष्योंका सर्वश्रेष्ठ कर्तव्य …
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BG 4.23 गतसङ्गस्य मुक्तस्य
गतसङ्गस्य मुक्तस्य ज्ञानावस्थितचेतसः ।यज्ञायाचरतः कर्म समग्रं प्रविलीयते ॥23॥ गतसङ्गस्य, मुक्तस्य, ज्ञानावस्थितचेतस:,यज्ञाय, आचरत:, कर्म, समग्रम्, प्रविलीयते॥ २३॥ गतसङ्गस्य = जिसकी आसक्ति …
Bhagavad Gita 17.16
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।17.16।। व्याख्या -- मनःप्रसादः -- मनकी प्रसन्नताको मनःप्रसाद कहते हैं। वस्तु? व्यक्ति? देश? काल? परिस्थिति? घटना आदिके संयोगसे पैदा …
Bhagavad Gita 17.15
श्रीरामकृष्णदेव ने कहा है – “सत्य बात कलियुग की तपस्या है।” वाचिक सत्य के ऊपर वह बहुत जोर देते थे। उपनिषद के ऋषि कहते हैं – “सत्येन लभ्यः तपसा ह्येष आत्मा, सम्यग् ज्ञानेन ब्रह्मचर्येण नित्यम्।” …
Swami Vivekananda’s Quotes On Pleasure
In this article you'll find Swami Vivekananda's quotes on pleasure. All objective pleasure in the long run must bring pain, because of the fact of change or death.[Source]All pleasures of …
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BG 4.13 चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं
चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं गुणकर्मविभागशः ।तस्य कर्तारमपि मां विद्ध्यकर्तारमव्ययम् ॥13॥ चातुर्वर्ण्यम्, मया, सृष्टम्, गुणकर्मविभागश:,तस्य, कर्तारम्, अपि, माम्, विद्धि, अकर्तारम्, अव्ययम्॥ …