After his second marriage Durga Charan returned to Calcutta with his father, leaving the young bride, Sharatkamini, in Deobhog. He abhorred the idea of taking service under anyone, so he again settled …
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Bhagavad Gita 11.55
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.55।। व्याख्या--[इस श्लोकमें पाँच बातें आयी हैं। इन पाँचोंको 'साधनपञ्चक' भी कहते हैं। इन पाँचों बातोंके दो विभाग हैं। (1) भगवान्के साथ घनिष्ठता और (2) …
Bhagavad Gita 11.54
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.54।। व्याख्या--'भक्त्या त्वनन्यया शक्य अहमेवंविधोऽर्जुन'--यहाँ 'तु' पद पहले बताये हुए साधनोंसे विलक्षण साधन बतानेके लिये आया है। भगवान् कहते …
Bhagavad Gita 11.53
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.53।। व्याख्या--'दृष्टवानसि मां यथा'--तुमने मेरा चतुर्भुजरूप मेरी कृपासे ही देखा है। तात्पर्य है कि मेरे दर्शन मेरी कृपासे ही हो सकते हैं, किसी …
Bhagavad Gita 11.52
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.52।। व्याख्या--'सुदुर्दर्शमिदं रूपं दृष्टवानसि यन्मम'--यहाँ 'सुदुर्दर्शम्' पद चतुर्भुजरूपके लिये ही आया है, विराट्रूप या द्विभुजरूपके लिये …
Bhagavad Gita 11.51
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।11.51।। व्याख्या--'दृष्ट्वेदं मानुषं रूपं तव सौम्यं जनार्दन'--आपके मनुष्यरूपमें प्रकट होकर लीला करनेवाले रूपको देखकर गायें, पशु-पक्षी, वृक्ष, लताएँ आदि …