৭.১ প্রথম পরিচ্ছেদ - ঠাকুর শ্রীরামকৃষ্ণ—‘সমাধিমন্দিরে’ আজ কোজাগর লক্ষ্মীপূজা। শুক্রবার ২৭শে অক্টোবর, ১৮৮২ খ্রীষ্টাব্দ। ঠাকুর দক্ষিণেশ্বর কালীবাড়ির সেই পূর্বপরিচিত ঘরে বসিয়া আছেন। বিজয় (গোস্বামী) …
Blog
২.০ উপক্রমণিকা
২.১ ঠাকুর শ্রীরামকৃষ্ণের সংক্ষিপ্ত চরিতামৃত [শ্রীরামকৃষ্ণের জন্ম—পিতা ক্ষুদিরাম ও মাতা চন্দ্রমণি—পাঠশালা—৺রঘুবীর সেবা—সাধুসঙ্গ ও পুরাণ শ্রবণ—অদ্ভুত জ্যোতিঃদর্শন—কলিকাতায় আগমন ও দক্ষিণেশ্বর …
अग्निमन्त्र (स्वामी विवेकानन्द के चुने हुए पत्र)
(१) (श्री यज्ञेश्वर भट्टाचार्य को लिखित) इलाहाबाद, ५ जनवरी, १८९० प्रिय फकीर, एक बात मैं तुमसे कहना चाहता हूँ; इसका सदा तुम ध्यान रखना कि मेरे साथ तुम लोगों का पुनः साक्षात्कार नहीं भी …
Continue Reading about अग्निमन्त्र (स्वामी विवेकानन्द के चुने हुए पत्र) →
पातंजल योगसूत्र – परिशिष्ट
योग के विषय में अन्यान्य शास्त्रों के मत श्वेताश्वतरोपनिषद्(द्वितीय अध्याय) अग्निर्यत्राभिमथ्यते वायुर्यत्राधिरुध्यते। सोमो यत्रातिरिच्यते तत्र सञ्जायते मनः॥६॥ जहाँ अग्नि का मथन किया जाता …
पातंजल योगसूत्र – कैवल्यपाद | स्वामी विवेकानन्द
जन्मौषधिमन्त्रतपः समाधिजाः सिद्धयः॥१॥ सूत्रार्थ - सिद्धियाँ जन्म, औषधि, मन्त्र, तपस्या और समाधि से प्राप्त होती हैं। व्याख्या - कभी कभी मनुष्य पूर्वजन्म में प्राप्त सिद्धियों या शक्तियों को …
Continue Reading about पातंजल योगसूत्र – कैवल्यपाद | स्वामी विवेकानन्द →
पातंजल योगसूत्र – विभूतिपाद | स्वामी विवेकानन्द
अब हम विभूतिपाद में आते हैं। देशबन्धश्चित्तस्य धारणा॥१॥ सूत्रार्थ - चित्त को किसी विशेष वस्तु में धारण करके रखने का नाम है धारणा। व्याख्या - जब मन शरीर के भीतर या उसके बाहर किसी वस्तु के …
Continue Reading about पातंजल योगसूत्र – विभूतिपाद | स्वामी विवेकानन्द →