Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.53।। व्याख्या -- बुद्ध्या विशुद्धया युक्तः -- जो सांख्ययोगी साधक परमात्मतत्त्वको प्राप्त करना चाहता है? उसकी बुद्धि विशुद्ध …
Bhagavad Gita 18.52
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.52।। व्याख्या -- बुद्ध्या विशुद्धया युक्तः -- जो सांख्ययोगी साधक परमात्मतत्त्वको प्राप्त करना चाहता है? उसकी बुद्धि विशुद्ध …
Bhagavad Gita 18.51
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.51।। व्याख्या -- बुद्ध्या विशुद्धया युक्तः -- जो सांख्ययोगी साधक परमात्मतत्त्वको प्राप्त करना चाहता है? उसकी बुद्धि विशुद्ध …
Bhagavad Gita 18.50
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.50।। व्याख्या -- सिद्धिं प्राप्तो यथा ब्रह्म तथाप्नोति निबोध मे -- यहाँ सिद्धि नाम अन्तःकरणकी शुद्धिका है? जिसका वर्णन …
Bhagavad Gita 18.49
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.49।। व्याख्या -- संन्यास(सांख्य) योगका अधिकारी होनेसे ही सिद्धि होती है। अतः उसका अधिकारी कैसा होना चाहिये -- यह बतानेके लिये श्लोकके …
Bhagavad Gita 18.48
श्रीरामकृष्णदेव की वाणी हैं – ईश्वर के साथ किसी तरह संयुक्त होकर रहना। दो मार्ग हैं – कर्मयोग और मनोयोग। जो लोग आश्रम में हैं, कर्म के द्वारा उनका संयोग है। ब्रह्मचर्य, गार्हस्थ्य, वानप्रस्थ, और …