तपःस्वाध्यायेश्वरप्रणिधानानि क्रियायोगः॥१॥ सूत्रार्थ - तपस्या, अध्यात्मशास्त्रों के पठन-पाठन और ईश्वर में समस्त कर्मफलों के समर्पण को क्रियायोग कहते हैं। व्याख्या - पिछले अध्याय में जिन सब …
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