Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।10.25।। व्याख्या--'महर्षीणां भृगुरहम्'--भृगु, अत्रि, मरीचि आदि महर्षियोंमें भृगुजी बड़े भक्त, ज्ञानी और तेजस्वी हैं। इन्होंने ही ब्रह्मा, विष्णु और …
Bhagavad Gita 10.24
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।10.24।। व्याख्या--'पुरोधसां च मुख्यं मां विद्धि पार्थ बृहस्पतिम्'--संसारके सम्पूर्ण पुरोहितोंमें और विद्या-बुद्धिमें बृहस्पति श्रेष्ठ हैं। ये इन्द्रके …
Bhagavad Gita 10.23
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।10.23।। व्याख्या--'रुद्राणां शंकरश्चास्मि'-- हर, बहुरूप, त्र्यम्बक आदि ग्यारह रुद्रोंमें शम्भु अर्थात् शंकर सबके अधिपति हैं। ये कल्याण प्रदान …
Bhagavad Gita 10.22
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।10.22।। व्याख्या--'वेदानां सामवेदोऽस्मि'--वेदोंकी जो ऋचाएँ स्वरसहित गायी जाती हैं, उनका नाम सामवेद है। सामवेदमें इन्द्ररूपसे भगवान्की स्तुतिका वर्णन है। …
Bhagavad Gita 10.21
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।10.21।। व्याख्या--'आदित्यानामहं विष्णुः'--अदितिके धाता, मित्र आदि जितने पुत्र हैं? उनमें 'विष्णु' अर्थात् वामन मुख्य हैं। भगवान्ने ही वामनरूपसे अवतार …
Bhagavad gita 10.20
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।10.20।। व्याख्या--[भगवान्का चिन्तन दो तरहसे होता है-- (1) साधक अपना जो इष्ट मानता है, उसके सिवाय दूसरा कोई भी चिन्तन न हो। कभी हो भी जाय तो मनको वहाँसे …