Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.25।। व्याख्या -- ध्यानेनात्मनि पश्यन्ति केचिदात्मानमात्मना -- पाँचवें अध्यायके सत्ताईसवेंअट्ठाईसवें श्लोकोंमें छठे अध्यायके …
Bhagavad Gita 13.24
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.24।। व्याख्या -- य एवं वेत्ति ৷৷. न स भूयोऽभिजायते -- पूर्वश्लोकमें देहेऽस्मिन् पुरुषः परः पदोंसे पुरुषको देहसे पर …
Bhagavad Gita 13.23
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.23।। व्याख्या -- उपद्रष्टानुमन्ता च भर्ता भोक्ता महेश्वरः -- यह पुरुष स्वरूपसे नित्य है? सब जगह परिपूर्ण है? स्थिर है? अचल है? …
Bhagavad Gita 13.22
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.22।। व्याख्या -- पुरुषः प्रकृतिस्थो (टिप्पणी प0 697) हि भुङ्क्ते प्रकृतिजान्गुणान् -- वास्तवमें पुरुष प्रकृति(शरीर) में …
Bhagavad Gita 13.21
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.21।। व्याख्या -- [इसी अध्यायके तीसरे श्लोकमें भगवान्ने क्षेत्रके विषयमें यच्च (जो है)? यादृक् च (जैसा …
Bhagavad Gita 13.20
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.20।। व्याख्या -- [इसी अध्यायके तीसरे श्लोकमें भगवान्ने क्षेत्रके विषयमें यच्च (जो है)? यादृक् च (जैसा …