One day during his travels in the Himalayas, Vivekananda sat for meditation under a pipal tree by the side of a stream. There he experienced the oneness of the universe and man — that man is a …
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Bhagavad Gita 14.8
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.8।। व्याख्या -- तमस्त्वज्ञानजं विद्धि मोहनं सर्वदेहिनाम् -- सत्त्वगुण और रजोगुण -- इन दोनोंसे तमोगुणको अत्यन्त निकृष्ट बतानेके …
Bhagavad Gita 14.7
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.7।। व्याख्या -- रजो रागात्म्कं विद्धि -- यह रजोगुण रागस्वरूप है अर्थात् किसी वस्तु? व्यक्ति? परिस्थिति? घटना? क्रिया आदिमें जो …
Bhagavad Gita 14.6
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.6।। व्याख्या -- तत्र सत्त्वं निर्मलत्वात् -- पूर्वश्लोकमें सत्त्व? रज और तम -- इन तीनों गुणोंकी बात कही। इन तीनों गुणोंमें …
Bhagavad Gita 14.5
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.5।। व्याख्या -- सत्त्वं रजस्तम इति गुणाः प्रकृतिसम्भवाः -- तीसरे और चौथे श्लोकमें जिस मूल प्रकृतिको महद् ब्रह्म नामसे कहा है? …
Bhagavad Gita 14.20
तीन गुण और त्रिगुणातीत अवस्था के बारे में श्रीरामकृष्णदेव की उक्ति है – “सत्त्वगुण से पालन, रजोगुण से सृष्टि और तमोगुण से संहार। किन्तु ब्रह्म सत्त्व, रज, तम इन तीन गुणों से परे हैं। वहाँ गुण नहीं …