श्रीज्ञानेश्वरकालीन संतोंमें वयस्में सबसे बड़े गोराजी कुम्हार थे। इनका जन्म तेरढोकी स्थानमें संवत् १३२४ में हुआ। इन्हें सब लोग 'चाचा' कहा करते थे। ये बड़े विरक्त, दृढ़ निश्चयी और ज्ञानी भक्त थे। इनकी …
Blog
BG 3.14-15 अन्नाद्भवन्ति भूतानि
अन्नाद्भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भवः ।यज्ञाद्भवति पर्जन्यो यज्ञः कर्मसमुद्भवः ॥14॥कर्म ब्रह्मोद्भवं विद्धि ब्रह्माक्षरसमुद्भवम् ।तस्मात्सर्वगतं ब्रह्म नित्यं यज्ञे प्रतिष्ठितम् ॥15॥ अन्नात्, …
Bhagavad Gita 16.6
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।16.6।। व्याख्या -- द्वौ भूतसर्गौ लोकेऽस्मिन्दैव आसुर एव च -- आसुरीसम्पत्तिका विस्तारपूर्वक वर्णन करनेके लिये उसका उपक्रम करते हुए …
Nada Bindu Upanishad
Translated by K. Narayanasvami Aiyar Om! May my speech be based on (i.e. accord with) the mind;May my mind be based on speech.O Self-effulgent One, reveal Thyself to me.May you both (speech and …
BG 3.35 श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः
श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात् ।स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः ॥35॥ श्रेयान्, स्वधर्म:, विगुण:, परधर्मात्, स्वनुष्ठितात्स्वधर्मे, निधनम्, श्रेय:, परधर्म:, भयावह:॥ …
Bhagavad Gita 16.5
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas 16.5।।व्याख्या--'दैवी सम्पद्विमोक्षाय'--मेरेको भगवान्की तरफ ही चलना है -- यह भाव साधकमें जितना स्पष्टरूपसे आ जाता है, उतना ही वह भगवान्के सम्मुख हो जाता है। …