Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.50।। व्याख्या -- सिद्धिं प्राप्तो यथा ब्रह्म तथाप्नोति निबोध मे -- यहाँ सिद्धि नाम अन्तःकरणकी शुद्धिका है? जिसका वर्णन …
Blog
Bhagavad Gita 18.49
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.49।। व्याख्या -- संन्यास(सांख्य) योगका अधिकारी होनेसे ही सिद्धि होती है। अतः उसका अधिकारी कैसा होना चाहिये -- यह बतानेके लिये श्लोकके …
Bhagavad Gita 18.48
श्रीरामकृष्णदेव की वाणी हैं – ईश्वर के साथ किसी तरह संयुक्त होकर रहना। दो मार्ग हैं – कर्मयोग और मनोयोग। जो लोग आश्रम में हैं, कर्म के द्वारा उनका संयोग है। ब्रह्मचर्य, गार्हस्थ्य, वानप्रस्थ, और …
Bhagavad Gita 18.47
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.47।। व्याख्या -- श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात् -- यहाँ स्वधर्म शब्दसे वर्णधर्म ही मुख्यतासे लिया गया …
Bhagavad Gita 8.17
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।8.17।। व्याख्या--सहस्रयुगपर्यन्तम् ৷৷. तेऽहोरात्रविदो जनाः --सत्य, त्रेता, द्वापर और कलि--मृत्युलोकके इन चार युगोंको एक चतुर्युगी कहते हैं। ऐसी एक हजार …
Bhagavad Gita 18.46
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.46।। व्याख्या -- यतः प्रवृत्तिर्भूतानां येन सर्वमिदं ततम् -- जिस परमात्मासे संसार पैदा हुआ है? जिससे सम्पूर्ण संसारका संचालन …