Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।1.28।। व्याख्या--'दृष्ट्वेमं स्वजनं कृष्ण युयुत्सुं समुपस्थितम्'--अर्जुनको 'कृष्ण' नाम बहुत प्रिय था। यह सम्बोधन गीतामें नौ बार आया है। भगवान् …
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Bhagavad Gita 1.27
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।1.27।। व्याख्या--'तान् सर्वान्बन्धूनवस्थितान् समीक्ष्य'-- पूर्वश्लोकके अनुसार अर्जुन जिनको देख चुके हैं, उनके अतिरिक्त अर्जुनने बाह्लीक आदि …
Bhagavad Gita 1.26
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas 1.26।। व्याख्या--'तत्रापश्यत् ৷৷. सेनयोरूभयोरपि'-- जब भगवान्ने अर्जुनसे कहा कि इस रणभूमिमें इकट्ठे हुए कुरुवंशियोंको देख, तब अर्जुनकी दृष्टि …
Bhagavad Gita 1.25
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas 1.25।। व्याख्या-- 'गुडाकेशेन'--'गुडाकेश' शब्दके दो अर्थ होते हैं (1) 'गुडा' नाम मुड़े हुएका है और 'केश' नाम …
Bhagavad Gita 1.24
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas 1.24।। व्याख्या--'गुडाकेशेन'--'गुडाकेश' शब्दके दो अर्थ होते हैं (1) 'गुडा' नाम मुड़े हुएका है और 'केश' नाम बालोंका है। …
Bhagavad Gita 1.23
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।1.23।। व्याख्या--'धार्तराष्ट्र (टिप्पणी प0 18) दुर्बुद्धेर्युद्धे प्रियचिकीर्षवः'--यहाँ दुर्योधनको दुष्टबुद्धि कहकर अर्जुन यह बताना चाहते हैं कि इस …