न मां कर्माणि लिम्पन्ति न मे कर्मफले स्पृहा ।
इति मां योऽभिजानाति कर्मभिर्न स बध्यते ॥14॥
न, माम्, कर्माणि, लिम्पन्ति, न, मे, कर्मफले, स्पृहा,
इति, माम्, य:, अभिजानाति, कर्मभि:, न, स:, बध्यते॥ १४॥
कर्मफले = कर्मोंके फलमें, मे = मेरी, स्पृहा = स्पृहा, न = नहीं है, (इसलिये), माम् = मुझे, कर्माणि = कर्म, न लिम्पन्ति = लिप्त नहीं करते, इति = इस प्रकार, य: = जो, माम् = मुझे, अभिजानाति = तत्त्वसे जान लेता है, स: = वह (भी), कर्मभि: = कर्मोंसे, न = नहीं, बध्यते = बँधता।
‘कर्मों का मुझ पर दोष नहीं होता, न ही मुझे कर्म के फल की पिपासा है। जो मुझे इस प्रकार जानता है वह कर्मों से नहीं बँधता’।
(Commentary in the previous verse)