ये त्वेतदभ्यसूयन्तो नानुतिष्ठन्ति मे मतम् ।सर्वज्ञानविमूढांस्तान्विद्धि नष्टानचेतसः ॥32॥ ये, तु, एतत्, अभ्यसूयन्त:, न, अनुतिष्ठन्ति, मे, मतम्,सर्वज्ञानविमूढान्, तान्, विद्धि, नष्टान्, अचेतस:॥ …
Bhagavad Gita 16.8
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।16.8।। व्याख्या -- असत्यम् -- आसुर स्वभाववाले पुरुष कहा करते हैं कि यह जगत् असत्य है अर्थात् इसमें कोई भी बात सत्य नहीं है। जितने …
Bhagavad Gita 16.7
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।16.7।। व्याख्या -- प्रवृत्तिं च निवृत्तिं च जना न विदुरासुराः -- आजकलके उच्छृङ्खल वातावरण? खानपान? शिक्षा आदिके प्रभावसे प्रायः …
Gora Kumbhar
श्रीज्ञानेश्वरकालीन संतोंमें वयस्में सबसे बड़े गोराजी कुम्हार थे। इनका जन्म तेरढोकी स्थानमें संवत् १३२४ में हुआ। इन्हें सब लोग 'चाचा' कहा करते थे। ये बड़े विरक्त, दृढ़ निश्चयी और ज्ञानी भक्त थे। इनकी …
BG 3.14-15 अन्नाद्भवन्ति भूतानि
अन्नाद्भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भवः ।यज्ञाद्भवति पर्जन्यो यज्ञः कर्मसमुद्भवः ॥14॥कर्म ब्रह्मोद्भवं विद्धि ब्रह्माक्षरसमुद्भवम् ।तस्मात्सर्वगतं ब्रह्म नित्यं यज्ञे प्रतिष्ठितम् ॥15॥ अन्नात्, …
Bhagavad Gita 16.6
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।16.6।। व्याख्या -- द्वौ भूतसर्गौ लोकेऽस्मिन्दैव आसुर एव च -- आसुरीसम्पत्तिका विस्तारपूर्वक वर्णन करनेके लिये उसका उपक्रम करते हुए …