Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.14।। व्याख्या -- सर्वतः पाणिपादं तत् -- जैसे स्याहीमें सब जगह सब तरहकी लिपियाँ विद्यमान हैं अतः लेखक स्याहीसे सब तरहकी लिपियाँ …
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Bhagavad Gita 13.13
पं. ईश्वरचन्द्र विद्यसागर को श्रीरामकृष्णदेव ने एक दिन बताया था – “ब्रह्म क्या है, मुख से कहा नहीं जा सकता। सभी चीजें जूठी हो गयी हैं, वेद, पुराण, तन्त्र, षड़दर्शन सब कुछ जूठे हो गये हैं। मुख से पढ़ा …
Bhagavad Gita 13.12
[श्रीरामकृष्णदेव ने भी कहा है – “आत्मा के द्वारा ही आत्मा को जाना जा सकता है। शुद्ध मन, शुद्ध बुद्धि, शुद्ध आत्मा एक ही है।” कथामृत ग्रंथ में और भी मिलता है – “ऋषियों ने शुद्ध बुद्धि के द्वारा शुद्ध …
Sri Ramakrishna on Suicide
Bhgavad Gita 13.11
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.11।। व्याख्या -- मयि चानन्ययोगेन भक्तिरव्यभिचारिणी -- संसारका आश्रय लेनेके कारण साधकका देहाभिमान बना रहता है। यह देहाभिमान …
Bhagavad Gita 13.10
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।13.10।। व्याख्या -- असक्तिः -- उत्पन्न होनेवाली (सांसारिक) वस्तु? व्यक्ति? घटना? परिस्थिति आदिमें जो प्रियता है? उसको सक्ति कहते …