शरणागति सर्वश्रेष्ठ योग है। शरणागत भक्त की श्रीभगवान सभी अवस्थाओं में रक्षा करते हैं और वही उनके ‘योग क्षेम’ का वहन भी करते हैं। श्रीरामकृष्णदेव ने इस ‘शरणागति’ पर विशेष जोर दिया है। जो भक्त हैं, उनके …
Bhagavad Gita 18.55
श्रीरामकृष्णदेव ने कहा है – ‘पूर्णज्ञान और पूर्णभक्ति एक ही है। परा भक्ति के द्वारा जो अवस्था प्राप्त होती है पूर्ण ज्ञान से भी उसी अवस्था का लाभ होता है।’ उन्होंने और भी कहा है – ‘तत्त्वज्ञान का अर्थ …
Bhagavad Gita 18.54
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.54।। व्याख्या -- ब्रह्मभूतः -- जब अन्तःकरणमें विनाशशील वस्तुओंका महत्त्व मिट जाता है? तब अन्तःकरणकी अहंकार? घमंड आदि वृत्तियाँ …
Bhagavad Gita 18.53
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.53।। व्याख्या -- बुद्ध्या विशुद्धया युक्तः -- जो सांख्ययोगी साधक परमात्मतत्त्वको प्राप्त करना चाहता है? उसकी बुद्धि विशुद्ध …
Bhagavad Gita 18.52
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.52।। व्याख्या -- बुद्ध्या विशुद्धया युक्तः -- जो सांख्ययोगी साधक परमात्मतत्त्वको प्राप्त करना चाहता है? उसकी बुद्धि विशुद्ध …
Bhagavad Gita 18.51
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.51।। व्याख्या -- बुद्ध्या विशुद्धया युक्तः -- जो सांख्ययोगी साधक परमात्मतत्त्वको प्राप्त करना चाहता है? उसकी बुद्धि विशुद्ध …