Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.12।। व्याख्या--'लोभः'--निर्वाहकी चीजें पासमें होनेपर भी उनको अधिक बढ़ानेकी इच्छाका नाम 'लोभ' है। परन्तु उन चीजोंके स्वाभाविक बढ़नेका नाम लोभ नहीं है। …
Bhagavad Gita 14.11
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.11।। व्याख्या--'सर्वद्वारेषु देहेऽस्मिन् ৷৷. ज्ञानं यदा'--जिस समय रजोगुणी और तमोगुणी वृत्तियोंको दबाकर सत्त्वगुण बढ़ता है, उस समय सम्पूर्ण …
Bhagavad Gita 14.10
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.10।। व्याख्या--'रजस्तमश्चाभिभूय सत्त्वं भवति भारत'--रजोगुणकी और तमोगुणकी वृत्तियोंको दबाकर सत्त्वगुण बढ़ता है अर्थात् रजोगुणकी लोभ, प्रवृत्ति, नये-नये …
Bhagavad Gita 14.9
श्रीरामकृष्णदेव की बात में मिलता है – “तमोगुण का स्वभाव अहंकार है। अहंकार और अज्ञान तमोगुण से ही होता है। तमोगुण का दूसरा लक्षण है क्रोध। क्रोध में हिताहित का ज्ञान नहीं रहता। … फिर तमोगुण का एक अन्य …
Bhagavad Gita 14.8
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.8।। व्याख्या -- तमस्त्वज्ञानजं विद्धि मोहनं सर्वदेहिनाम् -- सत्त्वगुण और रजोगुण -- इन दोनोंसे तमोगुणको अत्यन्त निकृष्ट बतानेके …
Bhagavad Gita 14.7
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.7।। व्याख्या -- रजो रागात्म्कं विद्धि -- यह रजोगुण रागस्वरूप है अर्थात् किसी वस्तु? व्यक्ति? परिस्थिति? घटना? क्रिया आदिमें जो …