Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.6।। व्याख्या -- तत्र सत्त्वं निर्मलत्वात् -- पूर्वश्लोकमें सत्त्व? रज और तम -- इन तीनों गुणोंकी बात कही। इन तीनों गुणोंमें …
Bhagavad Gita 14.5
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.5।। व्याख्या -- सत्त्वं रजस्तम इति गुणाः प्रकृतिसम्भवाः -- तीसरे और चौथे श्लोकमें जिस मूल प्रकृतिको महद् ब्रह्म नामसे कहा है? …
Bhagavad Gita 14.20
तीन गुण और त्रिगुणातीत अवस्था के बारे में श्रीरामकृष्णदेव की उक्ति है – “सत्त्वगुण से पालन, रजोगुण से सृष्टि और तमोगुण से संहार। किन्तु ब्रह्म सत्त्व, रज, तम इन तीन गुणों से परे हैं। वहाँ गुण नहीं …
Bhagavad Gita 14.4
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.4।। व्याख्या -- सर्वयोनिषु कौन्तेय मूर्तयः सम्भवन्ति याः -- जरायुज (जेरके साथ पैदा होनेवाले मनुष्य? पशु आदि)? अण्डज (अण्डेसे …
Bhagavad Gita 14.3
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.3।। व्याख्या -- मम योनिर्महद्ब्रह्म -- यहाँ मूल प्रकृतिको महद्ब्रह्म नामसे कहा गया है? इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे …
Bhagavad Gita 14.2
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।14.2।। व्याख्या -- इदं ज्ञानमुपाश्रित्य -- पूर्वश्लोकमें भगवान्ने उत्तम और पर -- इन दो विशेषणोंसे जिस ज्ञानकी महिमा कही थी? उस …