समष्टि से प्रेम किये बिना हम व्यष्टि से प्रेम कैसे कर सकते हैं? ईश्वर ही वह समष्टि है। सारे विश्व का यदि एक अखण्ड रूप से चिन्तन किया जाय, तो वही ईश्वर है, और उसे पृथक्-पृथक् रूप से देखने पर वही यह …
Continue Reading about सार्वजनीन प्रेम – स्वामी विवेकानन्द →