Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.67।। व्याख्या -- इदं ते नातपस्काय -- पूर्वश्लोकमें आये सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज -- इस सर्वगुह्यतम वचनके …
Bhagavad Gita 18.66
श्रीरामकृष्णदेव ने एक भक्त को उपदेश देते हुए कहा – “गीता में उन्होंने कहा है – ‘हे अर्जुन, तुम मेरी शरण लो, तुम्हें मैं सब प्रकार के पापों से मुक्त करूँगा।’ उनके शरणागत हो जाओ, वह सुबुद्धि देंगे और सब …
BG 5.13 सर्वकर्माणि मनसा
सर्वकर्माणि मनसा संन्यस्यास्ते सुखं वशी ।नवद्वारे पुरे देही नैव कुर्वन्न कारयन् ॥13॥ सर्वकर्माणि, मनसा, सन्न्यस्य, आस्ते, सुखम्, वशी,नवद्वारे, पुरे, देही, न, एव, कुर्वन्, न, कारयन्॥ …
Bhagavad Gita 18.65
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.65।। व्याख्या -- मद्भक्तः -- साधकको सबसे पहले मैं भगवान्का हूँ इस प्रकार अपनी अहंता(मैंपन) को बदल देना चाहिये। कारण कि बिना …
Bhagavad Gita 18.64
वेदादि शास्त्रों का सार है गीता। स्वामीजी ने गीता के सम्बन्ध में ‘ज्ञानयोग’ पुस्तक के एक स्थान में कहा है – “भगवद्गीता में श्रीकृष्ण ने अति सुन्दर ज्ञान का उपदेश दिया है। यह महान् काव्य ग्रन्थ भारतीय …
Bhagavad Gita 18.63
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।18.63।। व्याख्या -- इति ते ज्ञानमाख्यातं गुह्याद्गुह्यतरं मया -- पूर्वश्लोकमें सर्वव्यापक अन्तर्यामी परमात्माकी जो शरणागति बतायी …