Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।17.26।। व्याख्या -- सद्भावे -- परमत्मा हैं इस प्रकार परमात्माकी सत्ता(होनेपन) का नाम सद्भाव है। उस परमात्माके सगुणनिर्गुण? …
Bhagavad Gita 17.25
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।17.25।। व्याख्या -- तदित्यनभिसंधाय ৷৷. मोक्षकाङ्क्षिभिः -- केवल उस परमात्माकी प्रसन्नताके उद्देश्यसे? किञ्चिन्मात्र भी फलकी इच्छा न …
Bhagavad Gita 17.24
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।17.24।। व्याख्या -- तस्मादोमित्युदाहृत्य ৷৷. ब्रह्मवादिनाम् -- वेदवादीके लिये अर्थात् वेदोंको मुख्य माननेवाला जो वैदिक सम्प्रदाय …
Bhagavad Gita 4.22 – Yadṛcchālābhasantuṣṭo
यदृच्छालाभसन्तुष्टो द्वन्द्वातीतो विमत्सरः ।समः सिद्धावसिद्धौ च कृत्वापि न निबध्यते ॥22॥ yadṛcchālābhasantuṣṭo dvandvātīto vimatsaraḥsamaḥ siddhāvasiddhau ca kṛtvāpi na …
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Bhagavad Gita 17.23
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।17.23।। व्याख्या -- तत्सदिति निर्देशो ब्रह्मणस्त्रिविधः स्मृतः -- ? तत् और सत् -- यह तीन प्रकारका परमात्माका निर्देश है अर्थात् …
Bhagavad Gita 17.22
Hindi Commentary By Swami Ramsukhdas ।।17.22।। व्याख्या -- असत्कृतमवज्ञातम् -- तामस दान असत्कार और अवज्ञापूर्वक दिया जाता है जैसे -- तामस मनुष्यके पास कभी दान लेनेके लिये …