हमारे समस्त ज्ञान स्वानुभूति पर आधारित हैं। जिसे हम आनुमानिक ज्ञान कहते हैं, और जिसमें हम सामान्य से सामान्यतर या सामान्य से विशेष तक पहुँचते है, उसकी बुनियाद स्वानुभूति है। जिनको निश्चित …
ग्रन्थकार की भूमिका
प्रत्येक जीव अव्यक्त ब्रह्म है। बाह्य एवं अन्तःप्रकृति को वशीभूत करके अपने इस ब्रह्मभाव को व्यक्त करना ही जीवन का चरम लक्ष्य है। कर्म, उपासना, मनःसंयम अथवा ज्ञान, इनमें से एक, एक से अधिक या सभी …
राजयोग – स्वामी विवेकानन्द
पातंजल योगसूत्र …